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Aims and Objective of Club

Aims and Objective of Club

The objective of the club broadly stated shall be to provide amenities, privileges, comforts, and convenience to its members and their guests as are provided in other clubs of India. Our all facilities like BAR, Restaurant and kitchen etc. are approved by various authorities and bound to adhere the rules and regulations communicated time to time. We have tied with two dozen clubs of India & abroad on reciprocal basis. This process is still on. A member may utilize facilities like free wi-fi, table tennis, pool table or other indoor facilities. As our club is surrounded by Lila hotel and Star hotels, SSSIP University, Cross River Mall, Karkardooma districts courts and various Group housing societies. East End club do facilitates for holding social and cultural needs of members as well as their guests for weddings, receptions, get-togethers, kitty parties, birth days, musical & cultural events time to time with due permission of statutory bodies of capital.

To Attainment of Objective

To Attainment of Objective

The objective of the club broadly stated shall be to provide amenities, privileges, comforts, and convenience to its members and their guests as are provided in other clubs of India. Our all facilities like BAR, Restaurant and kitchen etc. are approved by various authorities and bound to adhere the rules and regulations communicated time to time. We have tied with two dozen clubs of India & abroad on reciprocal basis. This process is still on. A member may utilize facilities like free wi-fi, table tennis, pool table or other indoor facilities. As our club is surrounded by Lila hotel and Star hotels, SSSIP University, Cross River Mall, Karkardooma districts courts and various Group housing societies. East End club do facilitates for holding social and cultural needs of members as well as their guests for weddings, receptions, get-togethers, kitty parties, birth days, musical & cultural events time to time with due permission of statutory bodies of capital.

चेयरमैन ललित मोहन बंसल की कलम से

एक प्रसंग

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प्रिय मित्रों,

आज हम उस मोड़ पर खड़े हैं, जहाँ अपने देश का दुनिया में सम्मान बढ़ा है। आज एक भारतीय दुनिया के किसी भी हिस्से में जाये, उसकी अनदेखी नहीं होती। बेशक, आधी से अधिक जनता तीन ‘पी’ पापुलेशन (बढ़ती जनसंख्या), पॉल्ल्यूशन (प्रदूषण ) और पॉलिटिक्स (राजनीति) के न्यूनतम स्तर से आक्रांत है, निम्न और मध्यम वर्ग अपनी अपनी समस्याओं में घिरा हुआ है। यूँ कहा जाये, कि ईस्ट एंड क्लब के उद्भव की एक अद्भुत गाथा है।

यही कोई साढ़े तीन दशक पहले मयूर विहार फेज एक एक्सटेंशन के समाचार अपार्मेंट में रैन बसेरा बनाया तो वहाँ पत्रकारों का जमावड़ा था। मैं हिंदुस्थान समाचार, फिर समाचार संवाद समितियों से होते हुए नवभारत टाइम्स में कदम रखा था। उन दिनों नवभारत टाइम्स का बड़ा बोलबाला था। सोशल मीडिया था नहीं, दूरदर्शन ने कदम रखा ही था। बस, प्रिंट मीडिया छाया हुआ था। नेतागणों का भी तब प्रिंट मीडिया पर ख़ासा भरोसा था, उनका आदर सम्मान था। उन दिनों पत्रकार बस्तियों में नेतागण आते थे, देर रात बैठकें चलती थीं, अगले दिन अखबारों में सुर्खियां में खबरें होती थीं। ज्यादातर पत्रकार मित्र ऐसे थे कि ‘ऑफ़ रिकार्ड’ को यूँ पचा जाते थे, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। नेतागण भी उन्हें अपने सिरहाने रखते थे।

अब जैसे जैसे देश ने अंगड़ाई ली, नब्बे के दशक में उदारीकरण का समय आया, सोशल मीडिया और कलर टी वी ने गति पकड़ी तो खेमेबाजी और सुदृढ़ हो गई। मुझे याद है, दिल्ली में सिखों के नरसंहार के उपरान्त नब्बे के दशक में समाचार अपार्टमेंट, हिंदुस्तान अपार्टमेंट और नवभारत टाइम्स अपार्टमेंट के पत्रकारों की अगुआई में सुभाष श्रीवास्तव (हिंदुस्तान टाइम्स), सतीश कुमार (फ़ाइनहोम), बी एस खोसला (सहयोग ), रश्मि अग्रवाल (सहयोग) आर के सक्सेना आदि आदि उत्साही सहकर्मियों ने ‘रन फ़ार हार्मनी’ जैसी दौड़ें आयोजित की, पार्क और विभिन्न अपार्टमेंट में बच्चों के लिए खेलकूद प्रतिस्पर्धाएँ होने लगी, अख़बारों में फोटो और ख़बरें छपीं। उन दिनों के स्टार टेस्ट क्रिकेटर कपिल देव, नए नए सांसद बने सिने अभिनेता शत्रुहन सिन्हा, महाबली सतपाल, उड़ान परी पी टी ऊषा, प्रो विजय कुमार मल्होत्रा, एच के एल भगत ने सहर्ष बच्चों को इनाम बांटे, इन दौड़ को हरी झंडी दिखाते हुए गौरव का अनुभव किया था। दिल्ली सरकार बनी, मदनलाल खुराना मुख्य मंत्री बने। पोलियो उन्मूलन अभियान में खेलों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचने की क्रिया शुरू हुई तो स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन ने नेतृत्व किया। विधायक ओ पी बब्बर, नंदकिशोर गर्ग और कीर्ति आजाद का साथ लिया। श्री खुराना ने पोलियो उन्मूलन अभियान के अंतर्गत एक ही दिन में राजधानी में चार हिस्सों में दौड़ें करा डाली । बच्चे खूबसूरत जर्सियों में थे, इस क्षेत्रीय स्तर पर संपन्न दौड़ों में क़रीब एक लाख स्कूली बच्चों ने भाग लिया। इसके लिए दिल्ली नगर निगम, एन डी एम सी और दिल्ली सरकार के स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट ने अपने कर्मचारी, साधन और सुविधाएँ जुटाईं। दिल्ली सरकार के विभाग भागीदार बने। यों क्रिकेट में भी सांकेतिक तौर पर मुख्य मंत्री इलेवन और पत्रकारों की टीम के बीच एक फ्रेंडली मुक़ाबला हुआ था। नेशनल स्टेडियम में खेले गए इस मुकाबले में स्वयं नवाब पटौदी ने अंपायरिंग की थी।

बात यहीं तक नहीं रुकी, केंद्र में पहले नरसिम्हा राव सरकार फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने दूरदर्शन को पूर्ण सहयोग के निर्देश दिए। मेरे आग्रह पर पहले मुख्य मंत्री मदन लाल खुराना, फिर मुख्य मंत्री साहिब सिंह और चलते चलते बहन सुषमा स्वराज ने दिल्ली गेट स्थित अंबेडकर स्टेडियम में नेशनल लेवल की टीमों के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी कप के लिए मुख्यमंत्री फुटबाल टूर्नामेंट को जारी रखा। इस पोलियो अभियान की खेलों में अपार सफलता के मद्देनजर शिवाजी स्टेडियम में छत्रपति शिवाजी हाकी टूर्नामेंट और तालकटोरा स्टेडियम में पंडित दीनदयाल इनामी टेबल टेनिस टूर्नामेंट हुए। वह भी कैसे क्षण थे जब मुख्य मंत्री फुटबाल टूर्नामेंट में कलकत्ता की मुहम्मडन स्पोर्टिंग और जमशेदपुर से टाटा फुटबाल एकेडमी के फ़ाइनल मुकाबले में जामा मस्जिद और चितरंजन पार्क से हजारों दर्शक मैच अपनी अपनी टीमों को देखने पहुँचे। यह मैच भाईचारे का अविस्मरणीय अवसर था। इस पर श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी से चर्चा चली, तो वह फ़ाइनल मैच देखने और इनाम बाँटने का लोभ संवरण नहीं कर सके। अटलजी को निमंत्रण देने खुराना जी विशेष रूप से मुझे साथ ले गए थे। यह सिलसिला कुछ वर्षों तक चला।

मुझे गर्व है, ईस्ट एंड क्लब को जमीन श्री मदन लाल खुराना ने दिलवाई और उनके देखादेखी मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने इस क्लब में पौध रोपण के बाद से क्लब शुरू करने में कहीं बाधा नहीं आने दी। श्रीमती शीला दीक्षित कार्यकाल में करीब एक दर्जन लाइसेंस, एन ओ सी, ‘पेन अथवा पैनी’ के बिना ऐसे ऐसे ऐसे कार्य हो गए, जो नामुमकिन प्रतीत होते थे। सच है, ये दोनों नेता मेरे प्रिय तो थे ही, मार्ग दर्शक भी रहे। उस वक्त के दौर में एच के एल भगत और शीला दीक्षित के साथ साथ डाक्टर अशोक वालिया, रामबाबू शर्मा और उनकी टीम में सुनील जैन, गुरुविंदर सिंह सिक्का, गुरुचरण सिंह राजू, कैलाश अरोड़ा, सुधीर सरीन, कमलजीत सिंह आदि ने आड़े वक्त काम आए। श्री खुराना और श्रीमती दीक्षित हमें अनौपचारिक बातचीत में अक्सर कहते थे कि राजनीति और पारस्परिक रिश्ते अलग-अलग हैं। वे रहें अथवा नहीं रहें, पारस्परिक रिश्तों को महत्व दें। बच्चों से स्नेह और वृद्ध का सम्मान करें।यह नहीं भूलें कि युवा पीढ़ी इस देश की मूल धरोहर है। आज इस क्लब को पच्चीस वर्ष बीत चुके हैं।मेरे मस्तिष्क पटल पर स्मृतियाँ आज भी तरोताज़ा हैं। मैं जब रात-रात भर क्लब की छतें डलवाता था, भवन निर्माण की चिंता करता था, पत्नी शांति बंसल ने कदम कदम पर साथ दिया। आज वह हमारे बीच नहीं है। हाँ, इस बीच कोविड ने अपनी टांगे पसारी, हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री को दुर्दिन देखने पड़े। हम भी आहत हुए, टूटे नहीं। अब जरूरत इतनी भर है, युवाओं की टोली आगे आए, पारस्परिक भाईचारे की अलख पहचाने और सामाजिक दायित्वों के प्रति उत्तरदायी बनें।

ललित मोहन बंसल, आजीवन अध्यक्ष, ईस्ट एंड क्लब दिल्ली।

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